हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार हरिशंकर परसाई जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर प्रगतिशील लेखक संघ का 18वां राष्ट्रीय अधिवेशन
जबलपुर। संस्कारधानी में प्रगतिशील लेखक संघ के 18वां राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन 20 अगस्त को मानस भवन में आयोजित किया गया है। अधिवेशन का शुभारंभ मुख्य अतिथि सैय्यदा हमीद और महापौर जगतबहादुर अन्नू की उपस्थिति में होगा। प्रो. कुंदन सिंह परिहार और आयोजन समिति के अध्यक्ष तरूण गुहानियोगी ने सभी से उपस्थिति की अपील की है।
इस तीन दिवसीय अधिवेशन में इस बात पर चर्चा होगी कि आज के समय में लेखकों के समक्ष चुनौतियां क्या है? अभिव्यक्ति की आजादी सवालों के घेरे में है। साथ ही यह भी मंथन का विषय होगा कि इन चुनौतियों से कैसे निपटा जाए। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम में कई वक्ता अपने विचार रखें और चर्चाए करेंगे।
20 अगस्त को रजिस्ट्रेशन
इसकी शुरूआत 8 बजे से होगी। साथ ही विवेचना रंगमंडल द्वारा निठल्ले की डायरी नाटक का मंचन किया जाएगा। उसके पूर्व देश भर से आए साहित्यकारों की रैली आयोजित है। उसके विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत होगी। जिसमें पोस्टर प्रदर्शनी एवं पुस्तक प्रदर्शनी शामिल है।
21 अगस्त को वैचारिक सत्र
होटल सत्यरक्षा, तिलवारा रोड में विचार सत्र आयोजित हैं जिसकी थीम है अभिव्यक्ति के खतरों का सामना करना ही होगा। संरक्षण की चुनौतियों और संविधान का प्रचार होगा। संध्या मे विवेचन रंगमंडल द्वारा चिट्ठी जो भेजी नही गई नाटक का मंचन किया जाएगा। 21अगस्त को संध्या 5 बजे से 7 बजे तक इप्टा व प्रलेस के जबलपुर और मध्यप्रदेश से आए लोगों की एक बैठक आयोजित है जिसे इप्टा के अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध रंगकर्मी प्रसन्ना जी संबोधित करेंगे। साथ ही पुस्तक विमोचन और कविता पाठा का भी आयोजन होगा।
22 अगस्त को वैचारिक सत्र के साथ शुभारंभ होगा। प्रगतिशील लेखक संघ के राज्यों के प्रतिनिपधियों के नाम तय किए जाएंगे। साथ ही नई कार्रारिणी एवं पदाधिकारियों की घोषणा भी होगी। अंत में पत्रकार सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
1936 में हुई थी प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना
प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना 1936 में हुई थी। इस संघ की स्थापना का उद्येश्य लेखकों की चुनौतियों पर विचार करना और सामाजिक बुराईयों का अंत करना था, हाशिए पर पड़े लोगों की आवाज बनना इस संघ का उद्देश्य है। संघ के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए मुंशी प्रेमचंद ने कहा था कि साहित्य का उद्देश्य दबे - कुचले हुए वर्ग की मुक्ति का होना चाहिए। 1935 में फोस्टर ने प्रोगेसिव राइटर्स एसोसिएशन नामक संस्था की नींच पेरिस में रखी थी। उसी की तर्ज पर भारत में 1936 में सज्जाद जहीर और मुल्क राज आनंद ने प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना की थी। यह साहित्य में प्रगतिवाद की कोशिश की थी।