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Jharkhand:डायन प्रथा को जड़ से उखाड़ने में जुटी झारखंड सरकार की ‘गरिमा’, प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं तारीफ

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झारखंड में डायन प्रथा में जाती है कई की जान
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

40 वर्षीय भिखनी आज भी अपने साथ हुई उस घटना को याद कर सिहर उठती हैं, जब उन्हें उनके ही पड़ोसी ने डायन बताकर पीटना शुरू कर दिया था। भिखनी बताती हैं कि उन्हें निर्वस्त्र कर बाल पकड़कर खींचा गया था और प्रताड़ित और अपमानित किया गया था। उस घटना से भिखनी आज तक नहीं उबर पाई हैं और आज भी उसे याद करके डर जाती हैं। अब भिखनी की झारखंड सरकार की योजना ‘गरिमा’ के तहत काउंसलिंग की जा रही है, ताकि वह अपने साथ हुई उस भयावह घटना से उबर जाएं और गरिमा के साथ अपना आगे का जीवन जिएं। 

क्या है गरिमा योजना

झारखंड के पिछड़े जिलों में आज भी महिलाओं को डायन बताकर मार देने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। यही वजह है कि अब झारखंड सरकार ने लोगों को डायन प्रथा के खिलाफ जागरुक करने और इस प्रथा का शिकार हो चुकीं महिलाओं की मदद के लिए गरिमा योजना की शुरुआत की है। भिखनी की तरह ही झारखंड के पिछड़ों जिलों में से एक गुमला में कई ऐसी महिलाएं हैं, जिन्हें डायन बताकर प्रताड़ित किया गया या मार डाला गया। 

झारखंड में डायन प्रथा एक बड़ी समस्या

भिखनी की तरह ही 45 वर्षीय रेबेका तिर्की को भी डायन बताकर प्रताड़ित किया गया और समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था। शांति खलखो को भी डायन बताकर घर से बाहर घसीटकर लाया गया था और उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश की गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि अकेले गुमला जिले में ही महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित करने या समाज से बहिष्कृत करने की 476 घटनाएं हो चुकी हैं।

पीड़िताओं को दी जा रही कई सुविधाएं

इस प्रोजेक्ट के तहत जगह-जगह गरिमा सेंटर खोले गए हैं, जहां डायन प्रथा से पीड़ित महिलाओं की काउंसलिंग की जाती है। गुमला जिले में ही अब तक 253 महिलाओं की काउंसलिंग की जा चुकी है। पीड़ित महिलाओं को इस योजना के तहत जीवन यापन के लिए रोजगार भी मुहैया कराया जाता है। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाएं बनाई गई हैं, जिनमें 385 महिलाओं को शामिल किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि धीरे-धीरे लोगों में जागरुकता आ रही है। माओवाद प्रभावित गांवों में भी गरिमा प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इन इलाकों में प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों को ले जाने के लिए पुलिस की मदद भी ला जा रही है। 

प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं सम्मानित

डिप्टी कमिश्नर सुशांत गौरव ने लोगों को जागरुक करने और डायन प्रथा को खत्म करने के लिए यह पहल की है, जिसके लिए सुशांत गौरव को प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें अप्रैल में सम्मानित भी किया था। सुशांत गौरव ने बताया कि प्रोजेक्ट गरिमा के तहत गांव-गांव नाटकों का मंचन किया जा रहा है, ताकि लोगों को इस प्रथा के खिलाफ जागरुक किया जा सके। उन्होंने बताया कि एक ऐसे ही मामले में तो 19 महिलाओं को ही गिरफ्तार किया गया था और इस प्रथा की वजह से इलाके में महिलाओं की जनसंख्या भी गिर रही है। 

अधिकारियों का कहना है कि झारखंड के कई जिलों में डायन प्रथा समाज में काफी गहरे तक बैठी हुई है। ऐसे मामलों में कई बार रिश्तेदारों द्वारा ही महिला को डायन बताकर उसकी संपत्ति हड़प ली जाती है या फिर किसी अन्य वजह से महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। झारखंड सरकार का गरिमा प्रोजेक्ट को राज्य की 342 ग्राम पंचायतों के 2068 गांवों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें बोकारो, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम और लातेहार जिले के 25 ब्लॉक शामिल हैं। बता दें कि झारखंड में हर साल करीब 60-70 महिलाओं को डायन बताकर मार दिया जाता है। 

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Author: lokvaad@

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